अजित पवार के राखी से पहले बारामती पर अफसोस जताने का मकसद क्या है?

अजित पवार ने स्वीकार किया है कि बारामती लोकसभा सीट पर उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़ाने का फैसला गलत था - राखी से पहले बहन के प्रति राजनीतिक प्यार जताना तो इमोशनल अत्याचार ही लगता है.
अजित पवार आत्ममंथन के दौर से गुजर रहे हैं, और ये करीब हफ्ते भर से चल रहा है. तभी तो अफसोस पर अफसोस जताते फिर रहे हैं - लेकिन सबसे बड़ा अफसोस तो बारामती से पत्नी सुनेत्रा पवार को लोकसभा चुनाव लड़ाने का ही माना जाएगा.
हाल ही में अजित पवार ने राजनीति में पिछड़ जाने की बात कही थी. लहजा मजाकिया जरूर था, लेकिन अफसोस ही जाहिर कर रहे थे. अजित पवार ने याद दिलाया कि देवेंद्र फडणवीस 1999 में जबकि एकनाथ शिंदे 2004 में पहली बार विधायक बने, जबकि वो खुद 1990 से विधायक हैं.
एकनाथ शिंदे तो अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं ही, देवेंद्र फडणवीस भी सीएम रह चुके हैं, लेकिन अजित पवार कभी डिप्टी सीएम से आगे नहीं जा सके. ये भी सही है कि ज्यादातर वक्त सरकारों में वो डिप्टी सीएम बने जरूर रहे - अजित पवार की बातों से भी लगता है, और राजनीतिक हालात और समीकरण भी बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अब उनसे काफी दूर जा चुकी है.
'पत्नी को बहन के खिलाफ चुनाव लड़वाना मेरी गलती थी', बोले अजित पवार
और इसी क्रम में बातों बातों में सुना डालते हैं कि अगर बीजेपी और शिवसेना की तरफ से मुख्यमंत्री पद का ऑफर होता तो वो पूरी एनसीपी भी साथ लाकर रख दिये होते. 2023 में एनसीपी के बड़े हिस्से के साथ अजित पवार महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन महायुति में शामिल हो गये थे, और तभी से वो डिप्टी सीएम बने हुए हैं.
महाराष्ट्र में होने जा रहे् विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार राज्य भर में 'जन सम्मान यात्रा' पर निकले हैं, और इसी दौरान पूछे जाने पर कहा है कि बारामती से बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव मैदान में उतारने का उनका फैसला गलत था - रक्षाबंधन से पहले अजित पवार का ये बयान इमोशनल अत्याचार जैसा ही लगता है.
बारामती पर अजित पवार का अफसोस कितना पॉलिटिकल है
एनसीपी नेता अजित पवार ने बारामती लोकसभा सीट पर हुई पारिवारिक लड़ाई पर अफसोस जताया है, लेकिन ऐन उसी वक्त वो ये समझाने की भी कोशिश करते हैं कि वो कोई उनका निजी फैसला नहीं था.
अजित पवार के मुताबिक, बारामती से सुनेत्रा पवार को उम्मीदवार बनाने का फैसला एनसीपी संसदीय बोर्ड ने लिया था. बारामती महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और अजित पवार के चाचा शरद पवार का गढ़ माना जाता है, और शरद पवार के बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले बारामती का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती हैं.
सवाल ये है कि क्या अजित पवार ये फैसले के साथ आगे बढ़ने से पार्टी को रोक नहीं सकते थे? एनसीपी के सर्वेसर्वा तो फिलहाल वही हैं, फिर क्या दिक्कत रही होगी? कहीं ऐसा तो नहीं बीजेपी या महायुति जिसमें एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी शामिल है, की तरफ से अजित पवार पर ऐसा करने का दबाव था?
ये भी सवाल है कि अजित पवार ने ये बात अभी क्यों कही है? क्या ये बात भाई-बहन के रिश्ते से जुड़ी थी, इसलिए राखी के त्योहार के मौके का इंतजार कर रहे थे?
मीडिया से बातचीत में अजित पवार ने कहा, 'मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं… मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की… ऐसा नहीं होना चाहिये था.'
भले ही ये अजित पवार का राजनीतिक बयान हो, लेकिन कहते वक्त इमोशनल भी हो जाते हैं, 'एक बार तीर छूटने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता… लेकिन मेरा दिल आज मुझसे कह रहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिये था.'
बहन की बात होने पर अजित पवार कहते हैं, 'राजनीति की जगह राजनीति में है, लेकिन ये सभी मेरी प्यारी बहनें हैं… कई घरों में राजनीति चल रही है… राजनीति को घर में घुसने नहीं देना चाहिये… लोकसभा चुनाव के दौरान मुझसे एक गलती हो गई.'
अजित पवार अब चाहे कितना भी अफसोस क्यों न जतायें, सुप्रिया सुले ने बारामती के मैदान से हर मामले में बाजी मार ली है. मतदान वाले दिन भी सुप्रिया सुले वोट डालने के बाद सीधे अजित पवार के घर गई थीं, और वहां जाकर अजित पवार की मां से मुलाकात की.